दमाद– आज से मैं रोटी नहीं चावल खाऊंगा।
सास – ऐसा क्यों?
दमाद – मोहल्ले वालों के ताने सुनकर थक गया हूं।
रोज कहते हैं कि ससुराल वालों की रोटी तोड़ता हूं।
उमेश, बलिया